Saturday, 30 April 2016

किस से कहूं?

दोस्तो मैं आपका एक शुभचिन्तक,  अशोक,  आज से ब्लोगर की दुनिया में पहला कदम रख रहा हूं। ब्लाग का नाम किस से कहूं रखने के पीछे एक मात्र कारण यह है कि रोजमर्रा की जिन्दगी में कदम कदम पर ऐसी परिस्थतियां आती है जब मन में यह आता है कि किस से कहूं। अपने विचारों को किसे शेयर करू? कॊन धैर्य से मेरी बात सुनेगा ऒर मुझे सही गलत पर बेबाकी से अपने विचारों से अवगत कराएगा।

रोजाना अखबारों, टीवी आदि पर देश ऒर दुनिया की खबरें फटते हैं ऒर सुनते हैं। इनमें से ९०% खबरें ऐसी होती हैं जिन पर मन में सवाल उठता है कि ऐसा क्यों या ऐसा क्यों नही? जब हम लोगों को सब समझ आता है तो देश चलाने वाले बडे बडे महान लोग यह क्यों नहीं समझते या जानबूझ कर अनजान बने रहते है।

कई बार लगता है कि देश में कानून है ऒर कई बार लगता है कि यह नेता, अभिनेता ऒर रसूखदारों का बाडी गार्ड है। बडे बडे केसों में जमानत एक दिन में हो जाना ऒर छोटे छोटे अपराधों में पूरी जवानी जेल में पडे रहना। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का भावुक होना, लाखों केस कोर्ट में पेन्डीगं होना। क्या वास्तव में इसका कोई इलाज नहीं है?  क्या इसका मुख्य कारण सामाजिक कुरीतियां, अशिच्छा ऒर भवावेश में किये गये अपराध नहीं हैं?  क्या अधिवक्ता चाहते हैं कि केसों का जल्दी निपटान हों? सामान्य केसों को रजामन्दी से निपटाने हेतू क्या कोई बुद्धिजीवीयों, रिटायर्ड लोगों का ग्रामस्तर तक पैनल बनाया जा सकता है? शायद सब कुछ हो सकता है शायद कुछ भी नहीं ????
किस से कहूं????????